घायल हाथी की सेवा में जुटी वन विभाग की टीम, नीमडीह के जंगलों में चार दिन से चल रहा उपचार अभियान
वन तारा डॉक टीम और स्थानीय चिकित्सकों का संयुक्त प्रयास, घायल दिग्गज को बचाने की जद्दोजहद जारी

नीमडीह : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत नीमडीह प्रखंड के जंगलों में इन दिनों एक घायल हाथी की देखभाल और उपचार का अभियान मानवता और पर्यावरण संवेदना की मिसाल बन गया है। चातरमा और लाकड़ी गांव के बीच बीते चार दिनों से यह अभियान लगातार जारी है जिसमें वन विभाग, पशु चिकित्सक और विशेषज्ञ डॉक्टरों की 35 सदस्यीय टीम पूरी तन्मयता से जुटी हुई है। सूत्रों के अनुसार हाथी के अगले पैर में गहरी चोट आई है जिससे वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि यही हाथी कुछ सप्ताह पहले तक गांवों में आतंक मचाता घूम रहा था लेकिन अब घायल अवस्था में जंगल में पड़ा है। हाथी की हालत देखकर ग्रामीणों ने सूचना वन विभाग को दी। इसके बाद चांडिल के रेंजर शशि रंजन के नेतृत्व में टीम मौके पर पहुंची और वन तारा डॉक टीम (गुजरात) तथा नीमडीह के प्रभारी पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. के.के. चौधरी के सहयोग से उपचार शुरू किया गया। रेंजर शशि रंजन ने बताया कि हाथी का स्वास्थ्य अब स्थिर है और केवल पैर में चोट है। उन्होंने कहा कि वन विभाग की टीम हर समय मौके पर मौजूद है जब तक हाथी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाता इलाज जारी रहेगा। इस बीच डीएफओ और फॉरेस्टर लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। टीम ने घायल हाथी के आसपास सुरक्षा घेरा बना दिया है ताकि कोई भी बाहरी व्यक्ति उसे परेशान न कर सके। यह घटना एक बार फिर यह संदेश देती है कि वन्यजीव संरक्षण केवल नीतियों से नहीं बल्कि संवेदना और समर्पण से भी संभव है। नीमडीह का यह उदाहरण प्रशासनिक तत्परता और मानवीय कर्तव्यबोध की जीवंत तस्वीर बन गया है जहाँ वन और वन्यजीव हमारी साझा विरासत की भावना को साकार रूप दिया जा रहा है।