पुलिस हिरासत में क्रूरता पर हाईकोर्ट सख़्त, चैनपुर थाना प्रभारी निलंबित, तीन अधिकारी लाइन हाजिर
मानवाधिकार उल्लंघन पर न्यायिक सक्रियता, झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर मामले को जनहित याचिका में बदला

चैनपुर, गुमला : झारखंड में पुलिस हिरासत में मानवाधिकार उल्लंघन का गंभीर मामला सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने कड़ी न्यायिक सक्रियता दिखाते हुए तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए हैं। गुमला जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की कथित पिटाई का मामला बुधवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ (चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर) के सामने आया। पीड़ित कयूम चौधरी की पत्नी नबीजा बीबी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रौटीन केस को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया और गुमला पुलिस को कठोर निर्देश जारी किए। कोर्ट के आदेश के बाद चैनपुर थाना प्रभारी कृष्ण कुमार को निलंबित कर दिया गया है। वहीं तीन अन्य पुलिस अधिकारियों में पुअनि दिनेश कुमार, नंदकिशोर महतो और निर्मल राय को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर किया गया है। अदालत ने गृह सचिव, डीजीपी, गुमला एसपी और थाना प्रभारी को नोटिस जारी किया है। साथ ही एसपी को 4 दिसंबर को सुबह 10:30 बजे पूरे रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज के साथ व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है। मामला तब सामने आया जब चैनपुर पुलिस ने 1 दिसंबर को कयूम चौधरी को पूछताछ के नाम पर हिरासत में लिया जबकि उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं थी। याचिका में आरोप है कि कयूम की बेरहमी से पिटाई की गई जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। जांच रिपोर्ट में भी पुष्टि हुई है कि पूछताछ और मारपीट दोनों ही न्यायसंगत व विधि-सम्मत नहीं थे। यह पूरा विवाद वास्तव में कयूम के ससुर जमरूद्दीन खान को लेकर है जो 1996 के एक मामले में सजा काट चुके हैं और हालिया गिरफ्तारी वारंट के बाद फरार हैं। पुलिस उन्हीं की तलाश में दामाद कयूम को उठा लाई थी। हाईकोर्ट की त्वरित दखलंदाज़ी ने झारखंड में पुलिस जवाबदेही और मानवाधिकारों पर नई बहस छेड़ दी है। स्थानीय स्तर पर घटना को लेकर तीखी चर्चाएँ जारी हैं जबकि पुलिस विभाग ने आश्वासन दिया है कि दोषियों पर सख़्त कार्रवाई होगी और कानून से ऊपर कोई नहीं है।