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जमशेदपुर के अधिवक्ता ने लोक आलोक न्यूज़ पर मानहानि का लगाया आरोप, कानूनी कार्रवाई की चेतावनी

रिपोर्ट: MANISH 18 मिनट पहलेझारखण्ड

अधिवक्ता ने इस खबर को लेकर सार्वजनिक माफी और खंडन की मांग की है।

जमशेदपुर के अधिवक्ता ने लोक आलोक न्यूज़ पर मानहानि का लगाया आरोप, कानूनी कार्रवाई की चेतावनी

जमशेदपुर : सिविल कोर्ट जमशेदपुर में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता बिभाष कुमार चौधरी ने लोक आलोक न्यूज़ पोर्टल और उसके संपादक अभिषेक मिश्रा को एक कानूनी नोटिस भेजते हुए उन पर झूठी, मानहानिपूर्ण, काल्पनिक एवं दुर्भावनापूर्ण खबर प्रकाशित करने का आरोप लगाया है।

अधिवक्ता ने इस खबर को लेकर सार्वजनिक माफी और खंडन की मांग की है। नोटिस में अधिवक्ता ने बताया है कि 26 जून 2025 को लोक आलोक न्यूज़ द्वारा एक खबर प्रकाशित की गई थी जिसका शीर्षक था आदित्यपुर में महिला से 21,000 रुपए की ठगी, अधिवक्ता पर गंभीर आरोप। इस रिपोर्ट में अधिवक्ता बिभाष चौधरी पर ठगी, धमकी देने, असामाजिक तत्वों से संबंध रखने, शराबियों को संरक्षण देने तथा एक महिला और उसके पति के साथ मारपीट करवाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं जिन्हें अधिवक्ता ने पूरी तरह निराधार और बेबुनियाद बताया है। बिभाष चौधरी ने कहा कि वे एक पंजीकृत अधिवक्ता हैं और सिविल कोर्ट जमशेदपुर में नियमित प्रैक्टिस करते हैं। ऐसे में रिपोर्ट में उन्हें गैर-प्रैक्टिसिंग अधिवक्ता कहना न सिर्फ़ उनकी पेशेवर प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है बल्कि उनके संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी सरकारी भूमि विवाद का समाधान कर वैध तरीके से जमीन अपने नाम स्थानांतरित करवाई है। साथ ही उन्होंने सवाल किया कि उन्होंने कब और कहां गो-तस्करी जैसे जघन्य अपराध को समर्थन दिया जैसा कि रिपोर्ट में इशारा किया गया है। नोटिस में अधिवक्ता ने इस खबर को पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य बताते हुए कहा है कि यह जानबूझकर उनकी सामाजिक और पेशेवर छवि को धूमिल करने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरें भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत अपराध हैं जिनमें मानहानि, आपराधिक षड्यंत्र और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन शामिल है। नोटिस में अधिवक्ता बिभाष चौधरी ने लोक आलोक न्यूज़ से तत्काल कार्यवाही की मांग की है। उन्होंने कहा कि संबंधित खबर को सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म से तत्काल हटाया जाए, पोर्टल पर सार्वजनिक रूप से खंडन और माफीनामा प्रकाशित किया जाए तथा सात दिनों के भीतर अधिवक्ता को लिखित माफी पत्र दिया जाए। अन्यथा उन्होंने चेतावनी दी है कि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 356 (2) (3) के तहत दीवानी और आपराधिक कार्रवाई की जाएगी और इसके सभी दायित्व एवं कानूनी परिणाम न्यूज़ पोर्टल और संबंधित व्यक्तियों पर होंगे। अधिवक्ता ने इस नोटिस को अंतिम चेतावनी बताते हुए गंभीरता से लेने की बात कही है।

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