प्रकाशोत्सव पर साकची गुरुद्वारा में कीर्तन दरबार के दूसरे दिन “धन नानक तेरी वड्डी कमाई” सबद श्रवण कर संगत हुई अलौकिक भक्ति में लीन
कार्यक्रम की शुरुआत भाई साहिब भाई सरबजीत सिंह जी सुचेतगढ़ (हजूरी रागी श्री दरबार साहिब, अमृतसर) के दिव्य कीर्तन से हुई।

Jamshedpur : सिख धर्म के संस्थापक पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी महाराज के 556वें प्रकाशोत्सव के पावन अवसर पर साकची गुरुद्वारा साहिब में आयोजित तीन दिवसीय कीर्तन दरबार के दूसरे दिन धार्मिक उत्साह चरम पर रहा। गुरुवार को हजूरी रागी, कीर्तनकारों और ढाडी जत्थे के गायन ने संगत को गुरु की वडियाई में निहाल कर दिया, जबकि धर्म रक्षा की पुकार ने श्रद्धालुओं के हृदयों में वीर रस का संचार किया।
कार्यक्रम की शुरुआत भाई साहिब भाई सरबजीत सिंह जी सुचेतगढ़ (हजूरी रागी श्री दरबार साहिब, अमृतसर) के दिव्य कीर्तन से हुई। उन्होंने ‘धन्य नानक तेरी वड्डी कमाई’ और ‘मेरे साहा में हर दर्शन सुख होय’ शबदों का भावपूर्ण गायन कर संगत को गुरु की महिमा में डुबो दिया।
इसके पश्चात सिख स्त्री सत्संग सभा साकची तथा सुखमणि साहिब कीर्तनी जत्था की बीबीयों ने सबद-कीर्तन प्रस्तुत कर गुरु नानक देव जी के गुणगान से वातावरण को भक्तिमय बनाया। मुख्य ग्रंथी भाई अमृतपाल सिंह मन्नन ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अंगों के अनुसार गुरमत विचार साझा किए। उन्होंने गुरु नानक देव जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनके उद्धारक यात्राओं और सिख इतिहास की गहन व्याख्या कर श्रद्धालुओं को प्रेरित किया।
धार्मिक दीवान में वीर रस का संचार ढाडी जत्था भाई हरप्रीत सिंह जेठुवाल (अमृतसर साहिब) ने किया। उन्होंने “छेती भेजो कोई रखवाला धर्म बचावन नू” गीत का गायन प्रस्तुत किया, जिसके शब्दार्थ थे कि जब धरती पर जुल्म की इंतहा हो गई तो धरती ने पुकारा, कोई रखवाला भेजो जो धर्म की रक्षा कर इस दुनिया का उद्धार कर सके।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, साकची के प्रधान निशान सिंह ने बताया कि गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी विश्व में शांति और समानता का संदेश दे रही हैं। इस कीर्तन दरबार में बड़ी संख्या में संगत की उपस्थिति सिख धर्म की जीवंतता का प्रमाण है। उधर, पूर्व महामंत्री परमजीत सिंह काले ने कहा कि यह दिवान गुरु नानक देव जी की उस शिक्षण को जीवंत करता है जिसमें उन्होंने अन्याय के विरुद्ध खड़े होने का संदेश दिया। आज के दौर में धर्म रक्षा की यह पुकार और प्रासंगिक हो गई है।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगत ने दीवान में भाग लिया और शब्द कीर्तन गायन प्रस्तुति से निहाल हुई। अंत में गुरु का अटूट लंगर श्रद्धापूर्वक वितरित किया गया, जो गुरु नानक देव जी की समानता और सेवा की भावना का प्रतीक बना। तीसरे दिन के कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें और अधिक संगत के शामिल होने की उम्मीद है।