एनआईटी जमशेदपुर में गाय आधारित प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
गाय आधारित खेती के लाभों को रेखांकित करते हुए ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भर समुदाय की ओर इसके योगदान को समझाया गया
आदित्यपुर : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम्स (आईकेएस) ने गाय आधारित प्राचीन भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर एक दिवसीय आमंत्रित वार्ता का सफलतापूर्वक आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत आमंत्रित अतिथि के.ई.एन. राघवन के स्वागत से हुई।
संस्थान के उपनिदेशक प्रोफेसर राम विनय शर्मा ने अतिथि का परिचय देते हुए, सतत विकास की दिशा में आधुनिक कृषि में इस विषय के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर शैलेन्द्र ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह और शॉल भेंटकर सम्मानित किया। अपने संबोधन में के.ई.एन. राघवन ने शिक्षा व्यवस्था और ग्रामीण आत्मनिर्भरता के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को साझा किया। उन्होंने गाय आधारित खेती के लाभों को रेखांकित करते हुए ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भर समुदाय की ओर इसके योगदान को समझाया। श्री राघवन ने जैविक खाद और अन्य पारंपरिक तकनीकों के माध्यम से खेती की विधियों का प्रदर्शन किया, जो कम लागत में अधिक उत्पादकता और मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। उन्होंने पारंपरिक कृषि प्रणाली की व्याख्या करते हुए इसे ग्राम विकास और रोजगार सृजन का एक मजबूत माध्यम बताया। इस कार्यक्रम में लगभग 120 प्रतिभागियों, जिनमें छात्र, शिक्षक, और अन्य कर्मचारी शामिल थे, ने हिस्सा लिया। विद्यार्थियों को गाय आधारित कृषि के ज्ञान और इसके ग्रामीण विकास में योगदान के महत्व को समझने का अवसर मिला। कार्यक्रम का समापन डॉ. मनीष कुमार झा, संयोजक आईकेएस, द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह आयोजन विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए कृषि और आत्मनिर्भरता पर भारतीय ज्ञान की परंपरा को जानने और समझने का एक उत्कृष्ट मंच साबित हुआ।