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झिमड़ी हिंसा पर त्रिपक्षीय वार्ता में दोनों समुदायों की सहभागिता, लेकिन उठे प्रशासनिक भेदभाव के सवाल

रिपोर्ट: MANISH 8 घंटे पहलेझारखण्ड

गांव में भय का माहौल, आरोपों की बौछार

झिमड़ी हिंसा पर त्रिपक्षीय वार्ता में दोनों समुदायों की सहभागिता, लेकिन उठे प्रशासनिक भेदभाव के सवाल

नीमडीह : झिमड़ी गांव में बीते शनिवार को विशेष समुदाय से जुड़ी युवती के साथ हुई हिंसक घटना के बाद मंगलवार को पंचायत भवन में प्रशासन, हिंदू व मुस्लिम समुदायों के बीच त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गई। इस वार्ता का उद्देश्य गांव में शांति और सौहार्द्र की बहाली के साथ-साथ पीड़ित युवती को सामाजिक संरक्षण दिलाना था। बैठक में युवती की मां और आरोपी युवक के पिता अनुपस्थित रहे लेकिन गांव के अधिकांश समुदाय प्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद थे। ग्रामीण राकिब साईं ने युवक की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि हम मुस्लिम समाज से उस युवक को बहिष्कृत करते हैं। वह गया जिला का रहने वाला है और सरकारी जमीन पर कब्जा कर झिमड़ी में रह रहा है। अब हम उसके किसी काम में शामिल नहीं होंगे। बीडीओ कुमार एस अभिनव ने कहा कि बच्ची वर्तमान में पुलिस संरक्षण में है लेकिन जब वह घर लौटेगी तो हम सबका दायित्व है कि उसे पूरे गांव के संरक्षण में रखा जाए और उसकी हर आवश्यकता को पूरा किया जाए। थाना प्रभारी संतन कुमार तिवारी ने भी झिमड़ी गांव की रामनवमी की शांतिपूर्ण परंपरा की प्रशंसा की और कहा कि जो हो गया है उसे वहीं समाप्त करना है और हम सभी को पुनः पहले जैसे भाईचारे से जुड़ना होगा।

गांव में भय का माहौल, आरोपों की बौछार

घटना के बाद गांव के पुरुषों में भय का माहौल है कई लोग गांव छोड़कर चले गए हैं जबकि महिलाएं बैठक में उपस्थित रहीं। ग्रामीणों ने कुड़मी नेता जयराम महतो पर भी सवाल उठाए कि चुनाव के समय दहाड़ने वाले नेता अब इस संकट में क्यों नहीं पहुंचे? इसके अलावा हिंदू संगठनों से जुड़े ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जब झिमड़ी में धारा 144 लागू है तो बाबर खान में बैठक की अनुमति कैसे मिली? उन्होंने प्रशासन पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि सिर्फ हिंदू समुदाय पर धारा 144 का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। इस त्रिपक्षीय वार्ता में डीएसपी पूजा कुमारी, सर्किल इंस्पेक्टर, चौका और नीमडीह थाना प्रभारी, अंचल अधिकारी सहित जिला प्रशासन के कई वरीय अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। वार्ता ने जहां गांव में शांति स्थापना की दिशा में पहल की वहीं ग्रामीणों के सवालों से यह भी स्पष्ट हुआ कि प्रशासन को अपनी निष्पक्षता और विश्वास बहाली पर अधिक गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।

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