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शहरबेड़ा छठ घाट हादसे में दूसरा शव बरामद, डीसी-एसपी की तत्परता से राहत कार्य में आई तेजी

रिपोर्ट: MANISH 9 घंटे पहलेझारखण्ड

डीसी नितीश कुमार सिंह और एसपी मुकेश लुणायत के मानवीय नेतृत्व ने दिखाई संवेदनशीलता, बचाव कार्य की खुद ली कमान

शहरबेड़ा छठ घाट हादसे में दूसरा शव बरामद, डीसी-एसपी की तत्परता से राहत कार्य में आई तेजी

सरायकेला-खरसावां : जिले के शहरबेड़ा छठ घाट पर सोमवार की शाम लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दौरान हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र को शोकाकुल कर दिया है। एक ही परिवार के तीन सदस्य नदी में डूब गए थे। मंगलवार सुबह प्रशासन और स्थानीय गोताखोरों के अथक प्रयास से 45 वर्षीय संजय सिंह का शव बरामद कर लिया गया है। इससे पहले 14 वर्षीय आर्यन यादव का शव सोमवार देर शाम मिला था जबकि तीसरे युवक 19 वर्षीय प्रतीक कुमार की तलाश अब भी जारी है। घटना के बाद शहरबेड़ा घाट पर मातम पसरा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आर्यन नहाते समय गहरे पानी में चला गया था उसे बचाने की कोशिश में संजय और प्रतीक भी तेज धारा में बह गए। देखते ही देखते श्रद्धा का माहौल चीख-पुकार में बदल गया। हादसे की सूचना मिलते ही उपायुक्त नितीश कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मुकेश लुणायत तुरंत घटनास्थल पहुंचे। दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने रातभर रेस्क्यू अभियान की निगरानी की और सुबह होते ही फिर से खोज अभियान को तेज करने का निर्देश दिया। डीसी ने स्पष्ट कहा कि हमारी प्राथमिकता लापता युवक की खोज और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। प्रशासनिक सक्रियता की यह तस्वीर जनता के मन में भरोसा जगाती है। डीसी और एसपी ने न केवल स्थिति का जायजा लिया बल्कि परिवारों से मिलकर संवेदना भी व्यक्त की। वहीं स्थानीय प्रशासन और गोताखोरों को लगातार सहयोग और दिशा देते रहे। डीसी नितीश कुमार सिंह ने बताया कि जिस स्थान पर यह घटना हुई वह पहले से डेंजर ज़ोन घोषित था फिर भी श्रद्धालु वहां पहुंच गए। उन्होंने भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए घाटों की सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी प्रणाली को और मजबूत करने का आश्वासन दिया। यह घटना जहां प्रशासनिक तत्परता की मिसाल है वहीं सुरक्षा प्रबंधन पर भी चेतावनी है। डीसी और एसपी की त्वरित कार्रवाई और मानवीय दृष्टिकोण ने राहत कार्य को गति दी है लेकिन यह भी साफ़ है कि आने वाले समय में छठ जैसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था और जन-जागरूकता को और सख़्ती से लागू करने की जरूरत है ताकि श्रद्धा की डुबकी दुख में न बदल जाए।

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