साउथ एशियन गेम्स के स्टार्टअप सेरेमनी में चमकेगा सरायकेला छऊ कला का रंग
गुरु सुशांत महापात्र बनाएंगे रात्रि, श्री गणेश, नाविक और श्रीकृष्ण के मुखौटे, अंतरराष्ट्रीय मंच पर झलकेगी झारखंड की लोकसंस्कृति

सरायकेला : रांची में शुक्रवार से शुरू होने वाले साउथ एशियन गेम्स के स्टार्टअप सेरेमनी में झारखंड की विश्वप्रसिद्ध सरायकेला छऊ कला अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान दर्ज कराने जा रही है। इस अवसर पर गुरु सुशांत कुमार महापात्र एवं उनके पुत्र सुमित महापात्र द्वारा बनाए जा रहे पाँच भव्य छऊ मुखौटों रात्रि, श्री गणेश, नाविक, नाविकानी और श्रीकृष्ण का भव्य प्रदर्शन किया जाएगा। 24 से 26 अक्टूबर तक रांची के मोरहाबादी एथलेटिक स्टेडियम में आयोजित होने वाले इन खेलों में भारत सहित बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका के लगभग 300 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और 150 तकनीकी अधिकारी भाग लेंगे। 24 अक्टूबर को होने वाले उद्घाटन समारोह में पूरे भारत से आए 500 से अधिक कलाकार लोकसंस्कृति की झांकी प्रस्तुत करेंगे जिसमें सरायकेला छऊ नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा। गुरु सुशांत महापात्र जिनके पिता स्व. प्रसन्न कुमार महापात्र छऊ मुखौटा कला के अग्रदूत रहे हैं आज भी उसी परंपरा को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। 1975 में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से स्कॉलरशिप प्राप्त करने वाले सुशांत महापात्र ने भारत के साथ-साथ अमेरिका के न्यूयॉर्क, बर्लिन और विएना जैसे शहरों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया है। उनके पुत्र सुमित महापात्र आधुनिकता और परंपरा के संगम से इस कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में जुटे हैं। साउथ एशियन गेम्स के मंच पर यह प्रदर्शन न केवल सरायकेला बल्कि पूरे झारखंड की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनेगा जहां पारंपरिक कला आधुनिक खेल भावना के साथ एक ही मंच पर नजर आएगी।