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आकाशवाणी केंद्र की जमीन पर विवाद गहराया, पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल

रिपोर्ट: MANISH 52 मिनट पहलेझारखण्ड

कागज़ी कार्यवाही में उलझे पीड़ित, रसूखदारों को लाभ, आदित्यपुर भूमि विवाद ने खोली शासन-प्रशासन की खामियां

आकाशवाणी केंद्र की जमीन पर विवाद गहराया, पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल

आदित्यपुर : सरायकेला-खरसावां जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही, भ्रमजाल और रसूखदारों के प्रभाव के कारण भूमि से जुड़े विवाद लगातार पेचीदा होते जा रहे हैं। आम लोगों को न्याय दिलाने के बजाय विभागीय कार्यालयों के चक्कर कटवाने का आरोप प्रशासन पर फिर भारी पड़ा है। ताज़ा मामला आदित्यपुर स्थित आकाशवाणी केंद्र के बाहर बने पार्क और उससे सटे क्षेत्र की जमीन पर स्वामित्व को लेकर सामने आया है जिसने पुलिस और प्रशासन के कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। आकाशवाणी की शिकायत पर पुलिस ने पार्क से सटे क्षेत्र में राजीव कुमार द्वारा की जा रही घेराबंदी को रोक दिया और लगाए गए पिलरों को उखाड़ भी दिया। लेकिन थानेदार विनोद तिर्की शिकायतकर्ता का नाम तक बताने से इंकार कर गए और मामले को मात्र “कागज़ी जांच” बताकर आगे बढ़ने की बात कही। राजीव कुमार का आरोप है कि उन्हें लगातार डराया-धमकाया जा रहा है, जबकि वे कई वर्षों से अपनी निजी संपत्ति को हासिल करने के लिए आयडा, आवास बोर्ड, अंचल कार्यालय और नगर निगम की धूल झाड़ रहे हैं। राजीव के अनुसार 5 जुलाई 1982 को उनके पिता द्वारा खरीदी गई जमीन (डीड संख्या 2773/2794) का रकबा 15.5 डिसमिल है जिसमें से बिना अधिग्रहण प्रक्रिया के 8.5 डिसमिल पर पार्क बना दिया गया और 7 डिसमिल पर आकाशवाणी प्रबंधन ने बाउंड्री बनाकर कब्ज़ा कर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि 1988 में आकाशवाणी द्वारा किए गए अधिग्रहण में उनके पिता को न तो मुआवजा दिया गया और न ही दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। पूर्व DC रवि शंकर शुक्ला ने मामले की जांच का निर्देश दिया था जिसके बाद अंचल कार्यालय ने आवास बोर्ड को कई पत्र भेजे, लेकिन आज तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली। मई 2025 में भूमि मापन संबंधी नोटिस जारी हुआ पर न आकाशवाणी, न आवास बोर्ड और न कोई अन्य विभाग अपना दावा या आपत्ति लेकर सामने आया। इसके बावजूद जब राजीव अपनी भूमि पर कब्ज़ा लेने पहुंचे तो पुलिस ने कार्रवाई कर उन्हें रोक दिया। राजीव का स्पष्ट आरोप है कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कुछ लोग उनकी जमीन पर कब्ज़ा करवाने की कोशिश कर रहे हैं और आकाशवाणी प्रबंधन इस खेल में मोहरा है। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी द्वारा खोला गया गेट भी नगर निगम से नक्शा पास कराए बिना बनाया गया है। पीड़ित ने हाईकोर्ट शरण ली है और मांग की है कि अदालत के अंतिम निर्णय तक यथास्थिति बनाए रखी जाए। यह मामला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की अनियमितताओं को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे सरकारी मशीनरी आम लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय अक्सर उन्हें ही संदिग्ध बनाने में जुट जाती है।

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