पुलिस अधीक्षक की पहल और ग्रामीणों की शपथ से खत्म हो रहा नशे का कारोबार, अफीम की जगह अब लहलहा रहे धान के खेत
खरसावां की धरती पर बदलाव की बयार, खेती में लौटी नई उम्मीद

सरायकेला-खरसावां : जिले की खरसावां प्रखंड की धरती आज बदलाव की मिसाल बन गई है। जहां कभी अवैध अफीम की खेती का दबदबा था वहीं अब खेतों में धान की लहलहाती फसलें उम्मीद की नई कहानी लिख रही हैं। रीडिंग पंचायत में बीते साल तक लगभग 100 एकड़ भूमि पर अफीम बोई जाती थी। झारखंड सरकार और पुलिस-प्रशासन के संयुक्त अभियान से 85 एकड़ जमीन को अफीम से मुक्त कराया गया। यह केवल प्रशासनिक कार्रवाई नहीं बल्कि ग्रामीणों की सोच और मानसिकता में आए बदलाव का भी परिणाम है। किसानों ने स्वयं स्वीकार किया कि लालच में की गई अफीम की खेती ने जीवन में असुरक्षा और अविश्वास ही दिया। आज जब वे पारंपरिक खेती कर रहे हैं तो उन्हें समाज में आत्मसम्मान और स्वीकृति दोनों मिल रही है। इस बदलाव को स्थायी बनाने के लिए पुलिस-प्रशासन लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है। शनिवार को दलभंगा ओपी परिसर में आयोजित बैठक में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया और शपथ ली कि अब उनके खेतों में नशे की खेती नहीं होगी। सरायकेला-खरसावां जिले के एसपी मुकेश कुमार लुणायत ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अफीम की खेती पर कठोर कार्रवाई होगी, साथ ही आश्वासन दिया कि वैकल्पिक खेती में प्रशासन हर कदम पर किसानों के साथ खड़ा रहेगा। बीते साल जिले में 625 एकड़ भूमि से अफीम की खेती नष्ट की गई थी आज उन्हीं खेतों में धान की फसलें लहलहा रही हैं। समाजसेवियों का मानना है कि यह बदलाव केवल फसलों का नहीं बल्कि सोच का क्रांतिकारी परिवर्तन है जिसने खरसावां को विकास और सकारात्मकता का प्रतीक बना दिया है।