नक्सलमुक्त घोषित सरायकेला में फिर दिखी माओवाद की परछाई, एक महीने में तीन जगहों से भारी विस्फोटक बरामद
लगातार हो रही नक्सली विस्फोटकों की बरामदगी से खुफिया तंत्र पर सवाल, क्या खतरा टला नहीं है?

सरायकेला-खरसावां : जिले को भले ही वर्ष 2023 में केंद्र सरकार ने नक्सलमुक्त घोषित किया था लेकिन हालिया घटनाएं बताती हैं कि नक्सली गतिविधियों का खतरा अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। बीते एक महीने में जिले के खरसावां, कुचाई और दलभंगा के तीन अलग-अलग पहाड़ी क्षेत्रों से भारी मात्रा में नक्सली विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है। पहली घटना 28 जून को सामने आई जब खरसावां थाना क्षेत्र के रायजामा स्थित गोबरगोटा पहाड़ी से भाकपा (माओवादी) के उग्रवादियों द्वारा छिपाए गए 5 किलोग्राम विस्फोटक, 29 केन बम, 500 डेटोनेटर, तार, कोरडैक्स वायर समेत भारी सामग्री बरामद की गई। इसे बम निरोधक दस्ते द्वारा मौके पर ही निष्क्रिय किया गया। पुलिस ने इस मामले में यूएपीए और विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दूसरी घटना 22 जुलाई को हुई जब कुचाई प्रखंड के नीमडीह गांव के पास स्थित पहाड़ियों से झारखंड जगुआर, एसएसबी और पुलिस की संयुक्त टीम ने सघन तलाशी अभियान में 12 पीस 1.5 किग्रा वजनी केन बम बरामद किए। सुरक्षा बलों ने बताया कि यह बम पूर्व में सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने की मंशा से छिपाए गए थे। और अब ताजा घटना 23 जुलाई को सामने आई है जब दलभंगा ओपी अंतर्गत लोटबुरू पहाड़ी क्षेत्र से झारखंड जगुआर और एसएसबी की टीम ने संयुक्त अभियान में दो ग्लास बम (500 एमएल एनबीएम) बरामद किए जिन्हें बम निरोधक दस्ते की सहायता से नष्ट किया गया। तीनों घटनाएं यह संकेत देती हैं कि नक्सली संगठन भले ही सक्रियता कम कर चुके हों लेकिन उनका छिपाया हुआ विस्फोटक जखीरा आज भी खतरा बना हुआ है। लगातार हो रही बरामदगियों से खुफिया तंत्र की सक्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यह विस्फोटक यदि किसी समय उपयोग हो जाते तो जान-माल की भारी क्षति हो सकती थी। पूर्व में गिरफ्तार कुख्यात नक्सली महाराजा प्रमाणिक से मिली सूचनाओं की सच्चाई पर भी सवाल उठने लगे हैं। क्या जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाई गईं थीं या खुफिया एजेंसियां सतर्क नहीं रहीं? इन घटनाओं के मद्देनज़र ज़रूरत है कि सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसियां अब सतर्क होकर पुनः रणनीति बनाएं ताकि इन छिपे हुए खतरों को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।