ठगा हुआ न महसूस करें मतदाता, कानूनी दायरे में लाये जाए दलों के घोषणा पत्र : अविनाश वर्मा
अविनाश वर्मा ने राष्ट्रपति को भेजा सुझाव पत्र

मेदिनीनगर (पलामू) : राजनीतिक, सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े अविनाश वर्मा ने देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर देश के मतदाताओं के पक्ष में एक सुझाव पत्र ईमेल से प्रेषित किया है। पत्र में अविनाश वर्मा ने राष्ट्रपति को पर्व त्योहारों की बधाई देते हुए उनके लंबी उम्र की कामना की है ।
साथ ही उनके संघर्ष व सादगी को झारखंड समेत पूरे देश के लिए मिसाल बताया। उन्होंने सुझाव के रूप में लिखा है कि देश में प्रतिवर्ष कहीं ना कहीं कई स्तर के चुनाव होते रहते हैं। उन चुनावों में राजनीतिक पार्टियां कई लुभावन घोषणाओं के साथ वायदों की सूची जारी करती है। इसे वे सभी घोषणा पत्र के नाम से जानते हैं। मगर सत्ता प्राप्त होते संबंधित पार्टियां अपने ही घोषणा पत्र में किए गए वायदे से मुकर जाती है।
देश के मतदाता अपने को ठगा व लाचार महसूस करता है।उनके पास कोई रास्ता या कानून नहीं है जहां वह आपत्ति दर्ज कर सके। साथ ही घोषणा पत्र के खिलाफ जाने वाली राजनीतिक पार्टियों पर कोई कानूनी कार्रवाई हो सके। अविनाश वर्मा ने कहा कि ऐसी स्थिति में इसे भी भारतीय दंड संहिता 420 व वर्तमान में भारतीय न्याय संहिता 318 के अंतर्गत लाकर दंड व सजा का प्रावधान तय किया जाना चाहिए। क्योंकि घोषणा पत्र में किए गए वायदे के अनुरूप कार्य न करना भी एक तरह से जनता के साथ धोखा है।
विशेष करके उन पार्टियों के साथ जिन्हें देश के चुनाव आयोग ने मान्यता दिया है। कहा कि कानून व संविधान के साथ जनता भी मान्यता प्राप्त दलों को विशेष नजर से देखती है। उन पर विश्वास करती है। ऐसे में उनके द्वारा लिखित घोषणा को भी सरकारी दस्तावेज की श्रेणी में लाकर जवाबदेही तय की जानी चाहिए। इससे देश की कीमत व जनता द्वारा दिए गए टैक्स के पैसों का दुरुपयोग कोई सत्ताधारी दल सिर्फ अपने लाभ के लिए ना कर सके। देशवासियों को पूरी तरह संतुष्ट होकर जन व स्वहित में मतदान करने का आनंद मिल सके।