सरायकेला में महिलाओं ने थामा बदलाव का मशाल, डीसी-एसपी की पहल से प्री-कल्टीवेशन ड्राइव बन रहा राज्य का नशामुक्ति मॉडल
प्रशासनिक जागरूकता अभियान में महिला शक्ति की बढ़ती भागीदारी बनी उदाहरण

कुचाई : सरायकेला-खरसावां जिले में चल रहा प्री-कल्टीवेशन ड्राइव अब पूरे झारखंड में प्रशासनिक सफलता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन गया है। उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मुकेश लुनायत के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस अभियान में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है जो ग्रामीण समाज में बदलाव की नई कहानी लिख रही है। कुचाई प्रखंड के दलभंगा में आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में उपायुक्त ने कहा कि अवैध अफीम की खेती न केवल अपराध है बल्कि समाज और भविष्य के लिए जहर समान है। उन्होंने किसानों से खरीफ-रबी फसलों, फल-सब्जी और बागवानी जैसी वैकल्पिक खेती अपनाने की अपील की। इस कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाओं की सक्रिय उपस्थिति रही। महिलाएँ अब अफीम उन्मूलन की इस मुहिम की मुख्य भागीदार बनती जा रही हैं। उपायुक्त ने कहा कि महिलाओं की यह जागरूकता पूरे जिले में सामाजिक परिवर्तन का संकेत है।
पुलिस-प्रशासन सजा नहीं सहयोग देना चाहती है, खेतों को नशे से नहीं समृद्धि से भरना चाहती है : मुकेश लुणायत
पुलिस द्वारा शुरू किए गए इस अभियान में सरकार, जिला प्रशासन और ग्रामीण (खासकर महिलाओं) की भागीदारी और समर्थन मिलने से उत्त्साहित पुलिस अधीक्षक मुकेश लुणायत ने कहा कि जिन खेतों में उगता था ज़हर, अब वहीं फसलें मुस्कुराएंगी! ग्रामीणों के संकल्प से, मिट्टी में फिर जीवन लौट आएगा!! उन्होंने कहा कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत अफीम की खेती में संलिप्त पाए जाने पर 20 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। उन्होंने यह भी बताया कि कई पंचायतों में ग्रामीणों ने ग्रामसभा के माध्यम से शपथ ली है कि अब अफीम की खेती नहीं होगी। कार्यक्रम के दौरान कृषि विभाग द्वारा सरसों, चना, मटर के बीज वितरण, मनरेगा, फूलो-झानो आशीर्वाद योजना, किशोरी समृद्धि योजना और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ दिया गया। महिला समूहों की बढ़ती भागीदारी ने इस अभियान को नशामुक्ति से आत्मनिर्भरता तक की दिशा में परिवर्तित कर दिया है। सरायकेला का यह मॉडल अब राज्यभर में डीसी-एसपी की समन्वित उपलब्धि के रूप में सराहा जा रहा है।